भारत एक त्यौहारों वाला देश है। जीस मे काफी त्योहार मनाये जाते हैं। इन त्यौहारों का भारत के लोगों के लिए बड़ा महत्व होता है। इन त्यौहारों को भारत मे बड़े धूमधाम और मनो दिल से मनाया जाता है। लोग इन त्यौहारों का बड़ी बेसब्री से इंतजार करते हैं। हर त्यौहार का आपना आपना महत्व होता है। आपको हम कुछ त्यौहारों के नाम बताते है जैसे लोहड़ी, मकर संक्रांति, गणतंत्र दिवस, महाशिवरात्रि, होली और दीवाली आदि। हमने आपको भारत के कुछ त्यौहारों के नाम बताएं हैं। अगर आपको भारत के किसी त्यौहार के बारे मे जानना चाहते हो तो आप हमें कमेन्ट ( Comment ) में या फिर जीमेल ( Gmail ) कर दीजिए। आज हम आपको भारत के बड़े त्योहारों में से एक होली के बारे में जानकारी देंगे के होली क्यों मनाई जाती है, होली का त्यौहार किस दिन आती है और होलि त्यौहार मे विग्यान का क्या रोल है आदि।
होली का त्यौहार कब आता है और इसका महत्व
होली क्यों मनाई जाती है ?
होली के त्यौहार में विग्यान का क्या रोल है ?
1. होलिका दहन : होलिका दहन का कार्यक्रम उस वक्त किया जाता है जब सर्दी ऋतु समाप्त होती है और बसंत ऋतु का प्रारंभ होता हैं। इस समय वातावरण में अधिक कीटाणु और बैक्टीरिया जीवित होते हैं, जिसका प्रभाव हर मनुष्य के शरीर पर पड़ता है। लेकिन जब होलिका दहन की पूजा समाप्त करने के बाद होलिका जलाई जाती है। तब करीब 145 डिग्री फेरेनहाइट के आसपास तक वातावरण का तापमान बढ़ जाता है और जब इसके आसपास लोग घूमकर होलिका की परिक्रमा करते हैं तो जलाई गईं होलिका से निकलता हुआ ताप लोगों के अंदर तथा उनके आसपास फैले बैक्टीरिया को नष्ट कर के वातावरण को बिल्कुल शुद्ध कर देता है।
2. होलिका की राख : होलिका दहन की सभी लकड़ियों को के जलने के बाद बची हुई राख भी बहुत ही फायदेमंद होती है। दक्षिण भारत में लोग इस राख को अपने मस्तिष्क पर लगाते हैं ताकि उनका स्वास्थ्य हमेशा ठीक रहे। शारीरिक रूप से स्वस्थ रहने के लिए ही दक्षिण भारत के कुछ लोग इस राख में चंदन, हरी कोपलें और आम के वृक्ष को मिलाकर उसका सेवन करते हैं। वैज्ञानिक दृष्टिकोण से अच्छे स्वास्थ्य को प्राप्त करने के लिए यह बेहद ही उपयोगी तरीका है।
3.ऊर्जा : वैज्ञानिकों का मानना है कि होली का त्यौहार हर वर्ष ऐसे समय पर आता है जब अचानक ही मौसम में परिवर्तन आने के कारण लोगों में आलस पन अधिक घर कर जाता है जिससे व्यक्ति को अधिक थकान और सुस्ती महसूस होती है। वैज्ञानिक इस त्यौहार को मनाने के पीछे एक और यह तर्क देते हैं की। इस थकान और सुस्ती भरे वातावरण से अपने आप को निकालने के लिए ही व्यक्ति फाल्गुन के महीने में अधिक ज़ोर शोर के साथ गाना गाते है जिससे व्यक्ति के शरीर को नई ऊर्जा प्राप्त होती है।
4. रंग : इनका मानना है कि होली में लगाई जाने वाले शुद्ध गुलाल और अबीर का भी व्यक्ति के शरीर पर सकारात्मक और अच्छा प्रभाव पड़ता हैं। इसके साथ ही अबीर और गुलाल को जब पानी में मिलाकर लोग एक दूसरे के शरीर पर डालते हैं। तो इस रंग में मिले पानी से लोगों के मन को शांति और सुकून मिलता है। व्यक्ति के शरीर को नई ताजगी प्राप्त होती है।
त्वचा । होली में प्रयोग किए जाने वाले रंगों से मनुष्य की त्वचा अधिक उत्तेजित हो जाती है। इसी कारण ये रंग व्यक्ति के हाथों के पोरों में समा जाते है। इसके साथ ही इन रंगों को वैज्ञानिक ने मनुष्य शरीर की सुंदरता में वृद्धि और मजबूती प्रदान करने वाला बताया है।
दोस्तों हमारी तरफ से आप सभी को होली के त्यौहार की बहुत बहुत शुभकामनाएं।
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